प्राक्कथन
प्रस्तुत पुस्तक डा. गिरधर साहू की पीएच. डी. शोध प्रबंध ’रायपुर उच्चभूमि में शस्य प्रतिरूप एवं कृषि नवाचार का अंगीकरण’ पर आधारित है। प्रस्तुत अध्ययन में क्षेत्र में कृषि नवाचार के घटक तथा क्षेत्र को कृषि नवाचार के स्तर में बांट कर उसको प्रभावित करने वाले कारकों की विस्तृत व्याख्या की गई है। रायपुर उच्च भूमि में धमतरी एवं गरियाबंद जिले शामिल हैं। यह अध्ययन प्राथमिक आंकडों पर आधारित है। प्राथमिक आंकडों का संकलन 2015-16 में किया गया है। यह अध्ययन रायपुर उच्चभूमि के नौ तहसीलों के चयनित 18 ग्रामों के 1940 कृषकों से अनुसूची के माध्यम से प्राप्त सूचना पर आधारित है। द्वितीयक आंकडे कृषि सांख्यिकीय तथा कृषि संगणना 2010-11 से ली गई है।
भारत में तीब्र जनसंख्या वृद्धि की मांग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाने के कई प्रयास किए गए हैं। कृषि भूमि में निरंतर वृद्धि हो रही है। साथ ही भूमि उपयोग की गहनता भी बढ़ी है। फसलों के वितरण का स्वरूप भी बदला है। इन्हीं सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए शस्य प्रतिरूप पर विस्तार में चर्चा की गई है। उत्पादन की नई विधियों से उत्पादन तथा उत्पादकता दोनों में वृद्धि हुई है। इस पुस्तक में कृषि उत्पादकता के विश्लेषण के लिए कई विधियों को आधार माना गया है।
पुस्तक को आठ अध्यायों में विभक्त किया गया है। प्रथम अध्याय में भौगोलिक पृष्ठभूमि को दर्शाया गया है। द्वितीय अध्याय में जनांकीकिय पृष्ठभूमि की व्याख्या की गई है। तृतीय अध्याय में भूमि उपयोग का विशद् विश्लेषण किया गया है। चतुर्थ अध्याय में क्षेत्र के शस्य प्रतिरूप तथा उसके वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना की गई है। अध्याय पांच में रायपुर उच्च भूमि में विभिन्न फसलों के अंतर्गत कृषि उत्पादन की प्रवृत्ति को दर्शाया गया है। इस अध्याय में कृषि पद्धति, कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता तथा कृषि भूगोल के नवीन तकनीकों जैसे भूमि वहन क्षमता, शस्य विविधता, शस्य कृषि विशेषीकरण, कृषि दक्षता, फसलों का कोटी क्रम, शस्य गहनता, शस्य संयोजन प्रदेश एवं वाणिज्यीकरण की मात्रा एवं स्तर के स्थानिक प्रतिरूप का सविस्तार उल्लेख किया गया है। अध्याय छह में कृषि नवाचार के घटकों का सविस्तार व्याख्या की गई है। प्रस्तुत अध्ययन में कृषि नवाचार के घटकों में गोबर खाद, रासायनिक उर्वरक, उन्नत बीज, कृषि उपकरण, कीटनाशी दवाईयाँ कृषि सिंचाई, कृषि पद्धति, मृदा परीक्षण एवं बीज उपचार को शामिल किया गया है। अध्याय सात में रायपुर उच्च भूमि को कृषि नवाचार के घटकों के अंगीकरण के आधार पर उच्च, मध्यम, निम्न एवं अति निम्न चार कृषि नवाचार के स्तर में बांटा गया है तथा प्रभावित करने वाले निर्धारकों के आधार पर प्रत्येक नवाचार स्तर की सकारण व्याख्या प्रस्तुत की गई है।
आठवें अध्याय में कृषि नवाचार के अंगीकरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना है। कृषि नवाचार के घटकों के अंगीकरण के निर्धारकों में भौतिक, एवं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारक को शामिल किया गया है। भौतिक कारकों में उच्चावच एवं वर्षा, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों में मुखिया किसान का शिक्षा का स्तर, जोत का आकार, पारिवारिक आय, कृषकों का प्रशासनिक संपर्क, कृषकों की सामूहिक चर्चा एवं राजनीतिक जागरूकता प्रमुख हैं। अंत में कृषि की समस्याओं के सामाधन हेतु उपाय बताया गया है।
अनेक विश्वविद्यालयों में कृषि भूगोल स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का अंग है, किंतु हिंदी में पर्याप्त पठन सामग्री की कमी हमेशा अनुभव की जाती रही है। हिंदी भाषा आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को समझने एवं व्यक्त करने में पूरी तरह सक्षम है। प्रस्तुत पुस्तक हिंदी में लिखी गई एक उच्च स्तरीय पाठ्य पुस्तक है जिसका प्रकाशन विशेष रूप से स्नातकोत्तर स्तर के उन छात्रों के लिए किया गया है जो कृषि भूगोल विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते है।
इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता इसकी सरल भाषा, शैली सुगम एवं प्रवाहमयी तथा अकाट्य तर्कशीलता है। इसके साथ ही विभिन्न मानचित्रों तथा रेखाचित्रों की सहायता से इसे अधिक पठ्नीय बनाने का प्रयास किया गया है। यथास्थान सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया गया है। कृषि नवाचार के निर्धारकों का बहुचर गुणांक (Multiple Coefficient of Determinants, R2) महत्वपूर्ण है। हिंदी में किसी एक ही पुस्तक में विषय चयन, सामग्री एवं विद्धता की दृष्टिकोण से यह पुस्तक अद्वितीय है।
आशा है कि यह अध्ययन क्षेत्र की शस्य प्रतिरूप एवं कृषि नवाचार की जानकारी देने के साथ बहुसंख्यक छात्रों के लिए कृषि भूगोल के लिए आधार होगा।
डॉ. अनुसुइया बघेल
प्रोफेसर, भूगोल अध्ययनशाला पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
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